Web Series Review: ब्रीद इनटू द शैडोज
कलाकार: अभिषेक ए बच्चन, अमित साध, नित्या मेनन, ऋषिकेश जोशी, सैयामी खेर, श्रुति बापना, रेशम श्रीवर्धनकर, श्रद्धा कौल आदि
निर्देशक: मयंक शर्मा
ओटीटी: प्राइम वीडियो
रेटिंग: *1/2
अभिषेक बच्चन एक बार फिर तैयार हैं। कितने तैयार हैं, ये आपको ये वेब सीरीज देखकर पता चलेगा। तैयारी उनकी पिछले 20 साल से चल रही है एक अच्छा अभिनेता बनने की। युवा, गुरु, बंटी और बबली जैसी फिल्मों में वह इस कोशिश में सफल भी हुए लेकिन उनके खाते में फ्लॉप फिल्मों की गिनती इतनी ज्यादा है कि इस कंपटीशन में वह अपने पिता अमिताभ बच्चन की शुरूआती फिल्मों को कब का मात दे चुके हैं। यहां ये तुलना इसलिए जरूरी है क्योंकि अभिषेक बच्चन ने अपने एक पहले से मिले सवालों वाले इंटरव्यू में खुद को अमिताभ बच्चन का सहकर्मी बताया है। पहले से सवाल मंगवाकर इंटरव्यू देने का आइडिया जिसने भी अभिषेक बच्चन को दिया होगा, जरूर उसी ने उनकी इस डेब्यू सीरीज का भी आइडिया बनाया होगा। दोनों ही बिल्कुल फुस्स हैं।
ब्रीद नाम से प्राइम वीडियो ने देश में कदम रखने के साथ एक बेहतरीन वेब सीरीज बनाई थी। आर माधवन और अमित साध के बीच चलता चूहे बिल्ली का खेल लोगों को बहुत पसंद आया। सबको इंतजार होने लगा ब्रीद 2 का लेकिन इसे बनाने वाली कंपनी ने बनाई ब्रीद इनटू द शैडोज। सिंगल लाइन में पूछें तो कहानी वही है एक पिता का अपनी संतान की जान बचाने को दूसरों की जान लेना। वहां मामला अंगदान का था। यहां अंशदान का है। कातिल को पकड़ने का काम वही दो पुलिस वाले अब दिल्ली एनसीआर में कर रहे हैं जो पहले मुंबई में कर रहे थे। भैया, पुलिस महकमे की नौकरी स्टेट गवर्नमेंट की होती है, ऐसे ट्रांसफर नहीं होते।
कहानी यहां एक बच्ची सिया के गायब होने की है, जिसका पिता अविनाश सब्बरवाला अजीब से एक्सेंट के साथ बात करता है। क्यों? शेफ की नौकरी करने वाली उसकी पत्नी को आभा को भी शायद ही पता हो। बताया ये जाता है कि ये बंदा रुआब वाला है और अदालत उसकी जिरह पर गौर करती है। पता नहीं एक्सेंट के चलते या किसी और वजह से, क्योंकि ज्ञान जो वह देता है उससे ज्यादा तो एक नौसिखिया जानता है। स्वर्गलोक में रहने वाले इस दंपति की बिटिया के लापता होने के हफ्तों बाद उन्हें पाताल लोक से एक चिट्ठी, एक आईपैड और एक टास्क मिलता है। जाहिर है कि ये टास्क आखिरी नहीं है। पति पत्नी को अपने बच्चे की जान बचानी है। पति पूछता भी है कि ये सब करके आखिर वह क्या बन जाएगा। पत्नी उसकी बाल सुलभ सी जिज्ञासा शांत करती है और उसके कातिल बन जाने के कारण को तर्क देकर जायज ठहराने की कोशिश करती है। उफ!
गाड़ी पलटा के विकास दुबे का एनकाउंटर कर देने वाली पुलिस के जमाने में पुलिस विभाग के भीतर कितनी सियासत चलती है, ये इस कहानी का दूसरा रूप है। मयंक शर्मा ने इस बार सीरीज लिखते समय शायद सत्यमेव जयते खूब देखी है इसलिए सीरीज के तमाम संवाद बार बार मिलाप मिलन झावेरी की याद दिलाने लगते हैं, लेकिन पुलिस वाले हैं कि बस आंखें चौड़ी कर लेने और फ्लैशलाइट चमकाने से आगे बढ़ते ही नहीं है। 12 एपीसोड की सीरीज देखने में आपको कोई नौ घंटे के करीब अपने जीवन के अभिषेक ए बच्चन (यही उनका नया नाम है) की इस डेब्यू सीरीज को देने होंगे। और, नतीजा? ठीक वही जो अभिषेक के करियर की पहली सात फिल्मों के साथ हुआ है।
सीरीज की लिखावट ऐसी है कि किसी भी एक एपीसोड का एक तार पकड़कर अगर खींच दिया जाए तो पूरी सीरीज भरभरा कर सामने आ जाती है। मतलब कि कहानी के बारे में कुछ भी ज्यादा कहना वैसे ही ठीक नहीं है जैसे कि अभिषेक ए बच्चन और नित्या मेनन के अभिनय पर टिप्पणी करना। पूरी सीरीज में दोनों ने एक सपाट सा आवरण चेहरे पर ओढ़ा हुआ है, उसी के पीछे उनके सारे मनोभाव चलते रहते हैं। न कहीं बेटी को बचाने की बेचैनी का भाव और न कहीं नियत समय में मुखौटा मानव का दिया काम पूरा न कर पानी की परेशानी ही दिखती है। अमित साध ने जितना जोर यहां अपना शरीर बनाने पर दिया है, उतना जोर शायद किरदार पर नहीं दिया। वह थोक के भाव में इतनी सीरीज कर रहे हैं, कई बार तो लगता है कि शायद उन्हें पता भी नहीं रहता होगा कि किस शूटिंग में पिछली बार उन्होंने कहानी का सिरा कहां छोड़ा था।
ब्रीद इनटू द शैडोज की कमजोर कड़िया इसकी कहानी, निर्देशन और लीड किरदारों का सपाट अभिनय तो है ही, इस बार सीरीज का बैकग्राउंड म्यूजिक भी पहले सीजन के मुकाबले कमतर रहा। हां, सीरीज के साथी कलाकारों ने बेहतर काम किया है। सैयामी खेर को जितना मौका मिला, उन्होंने अपना असर छोड़ने वाला काम कर दिया। ऋषिकेश जोशी, श्रुति बापना, रेशम श्रीवर्धनकर, और श्रद्धा कौल के किरदार और विस्तार पाते तो सीरीज के लिए ही फायदेमंद होते। मामला इस बार जमा नहीं, निराशा उन लोगों को इस सीरीज से ज्यादा होने वाली है जिन्हें ब्रीद के पहले सीजन के बाद एक कमाल के थ्रिलर की उम्मीद इस सीरीज के दूसरे सीजन से रही है।